कब
और कैसे बनेंगे हम विश्व गुरु ? - आत्म मंथन !
** 250 वर्ष का इतिहास खंगालने पर पता चलता है , कि आधुनिक विश्व मतलब 1800 के बाद , जो दुनिया मे तरक़्क़ी हुई , उसमें पश्चिमी मुल्को यानी सिर्फ *यहूदी और ईसाई* लोगो का ही हाथ है ! *हिन्दूओं* का इस विकास मे 1% का भी योगदान नही है !
** आप देखिये के 1800 से लेकर 1940 तक *हिंदू और मुसलमान* सिर्फ बादशाहत या गद्दी के लिये लड़ते रहे !
अगर आप दुनिया के *100 बड़े वैज्ञानिको* के नाम लिखें , तो बस *एक या दो नाम हिन्दू के मिलेंगे !
** पूरी दुनिया मे *61 इस्लामी मुल्क* है , जिनकी जनसंख्या *1.50 अरब* के करीब है और कुल *435 यूनिवर्सिटी* है !
दूसरी तरफ *हिन्दू की जनसंख्या 1.26 अरब* के क़रीब है और *385 यूनिवर्सिटी* है !
जबकि *अमेरिका* मे 3 हज़ार से अधिक और *जापान* मे 900 से अधिक *यूनिवर्सिटी* है !
*ईसाई* दुनिया के *45% नौजवान यूनिवर्सिटी* तक पहुंचते हैं ! वहीं * हिन्दू नौजवान 8 %* मुसलमान नौजवान 2%*तक *यूनिवर्सिटी* तक पहुंचते हैं !
दुनिया के *200 बड़ी यूनिवर्सिटी* मे से *54 अमेरिका , 24 इंग्लेंड , 17 ऑस्ट्रेलिया , 10 चीन , 10 जापान , 10 हॉलॅंड , 9 फ़्राँस , 8 जर्मनी , 2 भारत और 1 इस्लामी मुल्क* में हैं !
** अब हम आर्थिक रूप से देखते है !
** 250 वर्ष का इतिहास खंगालने पर पता चलता है , कि आधुनिक विश्व मतलब 1800 के बाद , जो दुनिया मे तरक़्क़ी हुई , उसमें पश्चिमी मुल्को यानी सिर्फ *यहूदी और ईसाई* लोगो का ही हाथ है ! *हिन्दूओं* का इस विकास मे 1% का भी योगदान नही है !
** आप देखिये के 1800 से लेकर 1940 तक *हिंदू और मुसलमान* सिर्फ बादशाहत या गद्दी के लिये लड़ते रहे !
अगर आप दुनिया के *100 बड़े वैज्ञानिको* के नाम लिखें , तो बस *एक या दो नाम हिन्दू के मिलेंगे !
** पूरी दुनिया मे *61 इस्लामी मुल्क* है , जिनकी जनसंख्या *1.50 अरब* के करीब है और कुल *435 यूनिवर्सिटी* है !
दूसरी तरफ *हिन्दू की जनसंख्या 1.26 अरब* के क़रीब है और *385 यूनिवर्सिटी* है !
जबकि *अमेरिका* मे 3 हज़ार से अधिक और *जापान* मे 900 से अधिक *यूनिवर्सिटी* है !
*ईसाई* दुनिया के *45% नौजवान यूनिवर्सिटी* तक पहुंचते हैं ! वहीं * हिन्दू नौजवान 8 %* मुसलमान नौजवान 2%*तक *यूनिवर्सिटी* तक पहुंचते हैं !
दुनिया के *200 बड़ी यूनिवर्सिटी* मे से *54 अमेरिका , 24 इंग्लेंड , 17 ऑस्ट्रेलिया , 10 चीन , 10 जापान , 10 हॉलॅंड , 9 फ़्राँस , 8 जर्मनी , 2 भारत और 1 इस्लामी मुल्क* में हैं !
** अब हम आर्थिक रूप से देखते है !
*अमेरिका* का *जी. डी. पी 14.9 ट्रिलियन डॉलर* है !
जबकि पूरे *इस्लामिक मुल्क* का कुल *जी. डी. पी 3.5 ट्रिलियन डॉलर* है ! वहीं *भारत का 1.87 ट्रिलियन डॉलर* है !
दुनिया मे इस समय *38,000 मल्टिनॅशनल कम्पनियाँ* हैं ! इनमे से *32000 कम्पनियाँ* सिर्फ *अमेरिका* और *युरोप* में हैं !
अब तक दुनिया के *15,000 बड़े अविष्कारों* मे *6103 अविष्कार* अकेले *अमेरिका* में और *8410 अविष्कार ईसाइयों या यहूदियों* ने किये हैं !
दुनिया के *50 अमीरो* में *20 अमेरिका* , *5 इंग्लेंड* , *3 चीन* , *2 मक्सिको* , *2 भारत* और *1 अरब मुल्क* से हैं !
** अब आपको बताते है , कि हम *हिन्दू जनहित , परोपकार या समाज सेवा* मे भी *ईसाईयों और यहूदियों से पीछे* हैं ! *रेडक्रॉस दुनिया* का सब से *बड़ा मानवीय संगठन* है , इस के बारे मे बताने की जरूरत नहीं है !
** बिल गेट्स ने *10 बिलियन डॉलर* से *बिल- मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन* की बुनियाद रखी , जो कि पूरे *विश्व के 8 करोड़ बच्चो* की सेहत का ख्याल रखती है !
जबकि हम जानते है , कि भारत में कई अरबपति हैं !
*मुकेश अंबानी* अपना घर बनाने मे 4000 करोड़ खर्च कर सकते हैं और *अरब का अमीर शहज़ादा* अपने स्पेशल जहाज पर 500 मिलियन डॉलर खर्च कर सकते हैं ! मगर *मानवीय सहायता* के लिये दोनों ही आगे नही आ सकते हैं !
** यह भी जान लीजिये की *ओलंपिक खेलों* में *अमेरिका* ही सब से *अधिक गोल्ड* जीतता है , हम खेलो में भी आगे नहीं !
** *हम अपने अतीत पर गर्व तो कर सकते हे , किन्तु व्यवहार से स्वार्थी ही है ! आपस में लड़ने पर अधिक विश्वास रखते हैं !*
** *मानसिक रूप में आज भी हम विदेशी व्यक्ति से अधिक प्रवाभित हैं ! अपनी संस्कृति को छोड़ कर , विदेशी संस्कृति अधिक अपनाते हैं !* इन परिस्थितियों कब और कैसे बनेंगे हम विश्व गुरु ?
जबकि पूरे *इस्लामिक मुल्क* का कुल *जी. डी. पी 3.5 ट्रिलियन डॉलर* है ! वहीं *भारत का 1.87 ट्रिलियन डॉलर* है !
दुनिया मे इस समय *38,000 मल्टिनॅशनल कम्पनियाँ* हैं ! इनमे से *32000 कम्पनियाँ* सिर्फ *अमेरिका* और *युरोप* में हैं !
अब तक दुनिया के *15,000 बड़े अविष्कारों* मे *6103 अविष्कार* अकेले *अमेरिका* में और *8410 अविष्कार ईसाइयों या यहूदियों* ने किये हैं !
दुनिया के *50 अमीरो* में *20 अमेरिका* , *5 इंग्लेंड* , *3 चीन* , *2 मक्सिको* , *2 भारत* और *1 अरब मुल्क* से हैं !
** अब आपको बताते है , कि हम *हिन्दू जनहित , परोपकार या समाज सेवा* मे भी *ईसाईयों और यहूदियों से पीछे* हैं ! *रेडक्रॉस दुनिया* का सब से *बड़ा मानवीय संगठन* है , इस के बारे मे बताने की जरूरत नहीं है !
** बिल गेट्स ने *10 बिलियन डॉलर* से *बिल- मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन* की बुनियाद रखी , जो कि पूरे *विश्व के 8 करोड़ बच्चो* की सेहत का ख्याल रखती है !
जबकि हम जानते है , कि भारत में कई अरबपति हैं !
*मुकेश अंबानी* अपना घर बनाने मे 4000 करोड़ खर्च कर सकते हैं और *अरब का अमीर शहज़ादा* अपने स्पेशल जहाज पर 500 मिलियन डॉलर खर्च कर सकते हैं ! मगर *मानवीय सहायता* के लिये दोनों ही आगे नही आ सकते हैं !
** यह भी जान लीजिये की *ओलंपिक खेलों* में *अमेरिका* ही सब से *अधिक गोल्ड* जीतता है , हम खेलो में भी आगे नहीं !
** *हम अपने अतीत पर गर्व तो कर सकते हे , किन्तु व्यवहार से स्वार्थी ही है ! आपस में लड़ने पर अधिक विश्वास रखते हैं !*
** *मानसिक रूप में आज भी हम विदेशी व्यक्ति से अधिक प्रवाभित हैं ! अपनी संस्कृति को छोड़ कर , विदेशी संस्कृति अधिक अपनाते हैं !* इन परिस्थितियों कब और कैसे बनेंगे हम विश्व गुरु ?
विश्व गुरु की अवधारणा क्या है !
पिछले 250 साल
के इतिहास में पाश्च्यात्य देशों ने बहुत से आविष्कार किये और जनमानस के लिए
कल्याणकारी कार्य भी किये ! हम पीछे रह गये क्योंकि हम गुलाम थे और गरीब बने रहे !
पर इस सबके बावजूद पाश्च्यात देश विश्व गुरु के पद को कभी न पा सके l शायद उन्हें इसकी चाह भी नहीं थी !
भारत की विश्गुरु बनने की चाह को इसलिए मान्यता मिलती है क्योंकि उपर्युक्त काल
खंड से पहले हमारे पास यह सब कुछ था ! आध्यात्मिक ज्ञान था ! भारत ने संसार को
शांतिपूर्ण सहस्तित्व का सन्देश दिया ! भारत वसुधैव कुटुम्बकम् में विश्वास करता
है ! भारत के ऋषि मुनि जन्म-म्रत्यु के जंजाल (पुनरपि जन्मम, पुनरति मरणं) से मुक्ति एवं मोक्ष
का सन्देश देते है ! भारत शांति प्रेम और भाई चारे का सन्देश देता है ! भारत सभी
धर्मों के प्रति प्रेम और भाई चारे की बात करता है ! भारत अथिति देवोभव की बात
करता है ! भारत सत्य मेव जयते की बात करता है ! परन्तु एक बात यह भी सच है मनुष्य
किसी भी व्यक्ति या समाज से तब ही प्रभावित होता है जब वह व्यक्ति या समाज
प्रभावशाली हो ! आज पाश्च्यात्य देशों का डंका क्यों बजता है क्योंकि वह
प्रभावशाली हैं या उनसे लोगों को फ़ायदा है ! यदि भारत आर्थिक शक्ति बने, सैन्य शक्ति से भरपूर हो और ‘जहां डाल डाल पर सोने की चिड़िया
करती हो बसेरा, वो
भारत देश है मेरा,
इस
उंचाई पर पहुँच सकें तभी हमारे ज्ञान को हमारे आध्यात्म को पूरी दुनिया समझेगी और
मानेगी ! इस विषय में शुरूवात तो हो चुकी है ! योग को अन्तराष्ट्रीय जगत मैं
मान्यता मिलना एक बड़ा कदम कहा जा सकता है ! आज दुनियां आध्यात्म को स्वीकार करती
है ! पर यदि हम भारत को शीघ्रातिशीघ्र शक्तिशाली पर शांतिपूर्ण देश न बना सके तो
यह सब कैसे होगा ?
समय
की आवश्यक है हम मिल कर रहने की कला सीखें ! यही भारत के कल्याण की कुंजी है !