बुधवार, 26 दिसंबर 2007

kya kar raho ho मेरे भाई तुम सोअच लो क्या कर रहे हो sakal सकल शकल

गुरुवार, 20 दिसंबर 2007

You love to marry, we marry to love हम शादी करते हैं प्यार करने के लिए

एक विदेशी नागरिक ने एक बार विवेकानंद से पूछा कि भारत मैं लड़का लड़की बिना एक दूसरे से परिचित हुवे केवल माता पिता के कहने पर शादी क्यों कर लेते हैं तथा ज़िंदगी भर एक दूसरे का साथ निभाते हैं तथा शादी टूटती भी नहीं है. इसका क्या कारण है? स्वामी जी ने अंग्रेजी मैं जबाब दिया – यू लव तू मेरी वी मेरी तू लव आप प्यार करते हो शादी करने के लिए और हम शादी करते हैं प्यार करने के लिए . भारतीयता के अनुरूप कितना सही उत्तर दिया स्वामी जी ने. परन्तु आज कल टीवी मैं संयुक्त परिवारों कि भद्दी तस्वीर पेश की जा रही है. रोकना होगा तथा संयुक्त परिवार कि खूबियों से लोगों से परिचित कराना होगा. सामाजिक विघटन को रोकना होगा। इसमें सबका सहयोग चाहिए

शनिवार, 15 दिसंबर 2007

Patwari- पटवारी उत्तराखंड की निहत्थी पुलिस

चौंकाने की बात नहीं है पर यह सच है कि उत्तराखंड के ग्रामीण अंचल मैं निहत्थी पुलिस आज भी कार्य कर रही है. गाँधी के देस मैं अजूबा पटवारी अहिंसक पुलिस के रुप मैं पिछले २०० सालों से सुचारू रुप से कार्य कर रही है. धारा ३०२ जैसे जघन्य अपराध की जांच भी पटवारी ही करता है हथियार के नाम पर उसके पास एक डंडा ही होता है. मुलजिम को बंद करने के लिए कमरा भी नहीं होता. रात्रि को अपराधी को बंद करने हेतु वह अक्सर हत्गादी hatgari को अपराधी व खुद के हाथ मैं बांध लेटा था. पटवारी को वर्दी भी नहीं मिलती ऐसे मैं कौन अपराधी है कौन पटवारी पहिचानाना था. मुश्किल हो जाता. मैं संसार का एक मात्र अजूबा पटवारी ट्रेनिंग स्कूल है. पहाड़ कि शांत प्रिय जनता पटवारी व्यवस्था को अच्छा समझती है.

सोमवार, 10 दिसंबर 2007

बुरा मत देखो मैं क्या करूं

रविवार, 9 दिसंबर 2007

राम रमापति कर धनु लेहूँ खैन्चेहू चाप मिटे संदेहू

राम चरित मानस मैं सीता स्वयाम्बर की एक चौपाई है जिसे हम बचपन मैं इस प्रकार परते थे . राम रमापति कर धनु लेहूँ, खैन्चाहू चाप मिटे संदेहू. यह चौपाई बालकाण्ड के २८४ दोहे कि सातवीं पंक्ति पर है. इधर मैं जब बाल कांड पढ़ रह था तो मैं पाया कि खैन्चाहू चाप कि जगह खैन्चेहूँ मिटे मोरे संदेहू लिखा है खैन्चय्हू के बाद चाप सब्द नहीं है चाप के माने प्रत्यंचा या धनुष कि डोरी होता है. मैंने कुछ साल पहले गीता प्रेस गोरखपुर को पत्र लिखा परन्तु सही जबाब नहीं आया. राम भक्तों से निवेदन है कि क्या सही है बताएं वैसे तो राम कथा कैसे ही कह लिजेये राम का नाम लेने से मतलब है, फिर भी जिज्ञाषा शांत होना भी जरूरी है

bura bolo, bura suno, bura kaho, or maje karo

ऐसा क्यों होता है कि जो कूड़ा अपने घर मैं बुरा लगता है उसे पडौसी की तरफ डाल देने या सड़क पर डाल देने से बुरा नहीं लगता. दूसरे कि जर, जोरू, जमीन को आदमी लोलुप दृष्टि से क्यों देखता है? दुसरे का स्कूटर मांग कर उश्का पेट्रोल पूरी तरह समाप्त करने को अपना जन्म सिद्ध अधिकार क्यों समझता है. दुसरे का रुपैया उधार लेकर वापस करने मैं बुरा क्यों लगता है? उधर वापस मांगने पर, उधर लेने वाला नाराज क्यों होता है? दुसरे का मकान हथियाने मैं सखी क्यों बघारता है? जब दूसरा कोई आपका मकान हथिउयता हैं तो दुसरे को क्यों कोसता है? दूसरे कि जर, जोरू, जमीन को आदमी लोलुप दृष्टि से क्यों देखता है? दुसरे का स्कूटर मांग कर उश्का पेट्रोल पूरी तरह समाप्त करने को अपना जन्म सिद्ध अधिकार क्यों समझता है. दुसरे का रुपैया उधार लेकर वापस करने मैं बुरा क्यों लगता मांगने पर, उधर लेने वाला नाराज क्यों होता है? दुसरे का माकन हथियाने मैं सखी क्यों बघारता है? जब दूसरा कोई आपका मकान हथिउयता हैं तो दुसरे को क्यों कोसता है? कर खुश होता है. जब कोई दूसरा आपकी दुकान पर गर्ही खरी कर देयता है तो गुस्सा क्यों करता है? चटकारे लेकर दूसरों कि बुरे karna क्यों अच्छा लगता है. पर अपनी बुरे से भयभीत क्यों रहता है. खुद को इमानदार और दूसरों को बेमन क्यों समझता है. खुद कि दुःख से कम दुखी पर दूसरों कि सुख से बहूत दुखी क्यों होता है. कर मैं बैठकर, पैदाल्चियोँ को हिकारत कि नज़र से क्यों देखता है. और जब खुद पैदाल्ची हो तो कर वालों को गली क्यों देता है, तथा गर्ही का होरण सुन कर क्यों नाराज़ होता है. अनुशाशन हीनता मैं क्यों खुश रहता है. पर दुसरे को अनुश्सशन का पथ परता है, क्यों. सच तो यह है कि यदि हम इन बातों का ख्याल रखें टा कई परय्शानियाँ खतम हो ज्ञान और भारत वास्तव मैं mahaan हो जाये. क्या आप ऐसा करेंगे? क्या मैं ऐसा करंगा ?
Bura sono, bura bolo, bura kaho, aur maje karo


Aisha kyoan hotaa hai ki jo kurha apney ghar main bura lagta hai ushe parausi ki taraf dal deney yaa sarak par daal deney se kurha-kurha nahin lagta. Doosrey ki jar, joru, jameen ko aadami lolup drishti se kyoan dekhta hai? Doosre ka scooter mang kar ushka petrol poori tarah samaapt karne ko apnaa janm siddh adhikaar kyoan samajhta hai. Doosre ka rupaiya udhaar lekar wapas karne main bura kyoan lagta hai? Udhar wapas mangney par, udhar lene wala naraj kyoan hota hai? Doosre ka makan hathiyane main sekhi kyoan bagharta hai? Jab doosra koi apka makaan hathiuyata hain to doosre ko kyoan kosta hai? Doosrey ke ghar main kalah, jhagrah, jhanjhat honey se prasanna hokar apne kjo buddhiman kyoanb samnajhta hai? Doosre ka makaan banta dekh, pasauri ke pet main dard kyoan hota hai? Apne saman ki chori na honey or doosrey ka saman chori ho jaaney par santosh ka anubhaw kyoan karta hai? Apne kichen garden se phool torney key bajay doosrey ke bagichey se phool torney main kyoan khush hota hai? Jab koi akhbar parh raha hotaa hai to akhbar main jhank kar kyoan parhta hai? Jab khud akhbar parta hai to doosarey ka jhankana bura kyoan lagta hai? Doosrey ki dukan ke aagey gari kyoan khari kar khush hota hai. Jab koi doosra aapki dukan par garhi khari kar deyta hai to gussa kyoan karta hai? Chatkarey laykar doosroan ki burai karma kyoan achha lagta hai. Par apni burai se bhaybheet kyoan rahta hai. Khud ko imandar or doosroan ko beyman kyoan samajhta hai. Khud ki dukh se kam dukhi par doosroan ki sukh se bahoot dukhi kyoan hota hai. Kar main baithkar, paidalchiyoan ko hikarat ki nazar se kyoan dekhta hai. Or jab khud paidalchi ho to kar waloan ko gali kyoan deta hai, tatha garhi ka horan sun kar kyoan naraz hota hai. Anushashan heenta main kyoan khush rahta hai. Par doosre ko anushsashan ka path parata hai, Kyoan. Such toa yah hai ki yadi hum in baatoan ka khyal rakhain toa kai parayshaniyan khatam ho jayan aur bharat wastav main mahan ho jayey. Kya aap aisa kareyngay? Kya main aisa karanga ?