रविवार, 9 दिसंबर 2007

bura bolo, bura suno, bura kaho, or maje karo

ऐसा क्यों होता है कि जो कूड़ा अपने घर मैं बुरा लगता है उसे पडौसी की तरफ डाल देने या सड़क पर डाल देने से बुरा नहीं लगता. दूसरे कि जर, जोरू, जमीन को आदमी लोलुप दृष्टि से क्यों देखता है? दुसरे का स्कूटर मांग कर उश्का पेट्रोल पूरी तरह समाप्त करने को अपना जन्म सिद्ध अधिकार क्यों समझता है. दुसरे का रुपैया उधार लेकर वापस करने मैं बुरा क्यों लगता है? उधर वापस मांगने पर, उधर लेने वाला नाराज क्यों होता है? दुसरे का मकान हथियाने मैं सखी क्यों बघारता है? जब दूसरा कोई आपका मकान हथिउयता हैं तो दुसरे को क्यों कोसता है? दूसरे कि जर, जोरू, जमीन को आदमी लोलुप दृष्टि से क्यों देखता है? दुसरे का स्कूटर मांग कर उश्का पेट्रोल पूरी तरह समाप्त करने को अपना जन्म सिद्ध अधिकार क्यों समझता है. दुसरे का रुपैया उधार लेकर वापस करने मैं बुरा क्यों लगता मांगने पर, उधर लेने वाला नाराज क्यों होता है? दुसरे का माकन हथियाने मैं सखी क्यों बघारता है? जब दूसरा कोई आपका मकान हथिउयता हैं तो दुसरे को क्यों कोसता है? कर खुश होता है. जब कोई दूसरा आपकी दुकान पर गर्ही खरी कर देयता है तो गुस्सा क्यों करता है? चटकारे लेकर दूसरों कि बुरे karna क्यों अच्छा लगता है. पर अपनी बुरे से भयभीत क्यों रहता है. खुद को इमानदार और दूसरों को बेमन क्यों समझता है. खुद कि दुःख से कम दुखी पर दूसरों कि सुख से बहूत दुखी क्यों होता है. कर मैं बैठकर, पैदाल्चियोँ को हिकारत कि नज़र से क्यों देखता है. और जब खुद पैदाल्ची हो तो कर वालों को गली क्यों देता है, तथा गर्ही का होरण सुन कर क्यों नाराज़ होता है. अनुशाशन हीनता मैं क्यों खुश रहता है. पर दुसरे को अनुश्सशन का पथ परता है, क्यों. सच तो यह है कि यदि हम इन बातों का ख्याल रखें टा कई परय्शानियाँ खतम हो ज्ञान और भारत वास्तव मैं mahaan हो जाये. क्या आप ऐसा करेंगे? क्या मैं ऐसा करंगा ?

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