रविवार, 9 दिसंबर 2007

राम रमापति कर धनु लेहूँ खैन्चेहू चाप मिटे संदेहू

राम चरित मानस मैं सीता स्वयाम्बर की एक चौपाई है जिसे हम बचपन मैं इस प्रकार परते थे . राम रमापति कर धनु लेहूँ, खैन्चाहू चाप मिटे संदेहू. यह चौपाई बालकाण्ड के २८४ दोहे कि सातवीं पंक्ति पर है. इधर मैं जब बाल कांड पढ़ रह था तो मैं पाया कि खैन्चाहू चाप कि जगह खैन्चेहूँ मिटे मोरे संदेहू लिखा है खैन्चय्हू के बाद चाप सब्द नहीं है चाप के माने प्रत्यंचा या धनुष कि डोरी होता है. मैंने कुछ साल पहले गीता प्रेस गोरखपुर को पत्र लिखा परन्तु सही जबाब नहीं आया. राम भक्तों से निवेदन है कि क्या सही है बताएं वैसे तो राम कथा कैसे ही कह लिजेये राम का नाम लेने से मतलब है, फिर भी जिज्ञाषा शांत होना भी जरूरी है

3 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

???

vaichariksampada.blogspot.com ने कहा…

प्रथम दृष्टया आप से करबद्ध निवेदन है कि कृपया शब्द शुद्धता पर ध्यान दें सुधार सहित 🙏

Unknown ने कहा…

मेरे पिताजी ने भी यही बताया हैं ।